Exploring why weather is changed and their importance
Exploring why weather is changed and their importance
मौसम (weather)- यह एक ऐसा शब्द है जो हर इनसान के जिवन किसी रूप मे प्रभावित करता है। कल्पना किजीए, सुबह कि पहिली किरण के साथ खिडकी से बाहर झाकते हूए आप बाहर देखते है। निला आकाश, हवा में हल्कि ठंडक, कभी गर्म लु कि तपिश, तो कभी बारिश के बुंदो कि राहत अचानक बादल घिर आते है, बारिश कि बुंदे टपकने लगति है, और दुनिया एक पल में बदल जाती है। यह जादू हि तो है मौसम का। मौसम सिर्फ तापमान का बदलाव नही है, बल्कि यह हमारे पर्यावरण, क्रुषी, स्वास्थ्य और यह हमे हंसाता है, रूलाता है, और हर बार कुछ नया सिखाता है। हमारे विविधतापूर्ण भारत जैसे देश में। जहा का मौसम एक अनंत कथा कि तरहा फैला हुआ हैहै, जहा हिमालय कि बर्फीली हवाए दक्षिण के समुद्र से जा कर तटों से टकराती है।
1. मोसम का विज्ञानविज्ञान - यह कैसे बदलता है?
मौसम बदल ने के पिछेे प्रकृती का विज्ञान छुपा है। हमारे पृथ्वी का वातावरण (Atmosphere) लगभग पांच परतो से बना है - ट्रोपोस्फियर, स्ट्रैटोस्फियर, मेसोस्फियर, थर्मोस्फियर, और एक्सोस्फियर। जिसे क्षोभमंडल, समतापमंडल, मध्यमंडल, तापमंडल, और बहिर्मंडल नाम से जानते है। इनमें से सबसे निचली परत यानि की पृथ्वी के सबसे पास वाली परत ट्रोपोस्फियर (Troposphere) है। जिस में सभी मौसमीय घटनाए घटती है, जैसे कि हवा, बारिश, बांदल, बर्फबारी, और आंधी-तुफान।
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मौसम बदलने के मुख्य कारण:
1. सुर्य कि स्थिती
पृथ्वी के झुकाव और घूर्णन के कारण सुर्य कि किरणे हर क्षेत्र मे अलग अलग कोण से गिरती है। यहि कारण है कि कहीं सर्दी है तो कहीं गर्मि।
2. पृथ्वी का झुकाव
पृथ्वी आपणे अक्ष पर लगभग 23.5 डिग्री झुकि हूई है। इस झुकाव के कारण हि होता है, जब उत्तर का गोलार्ध सुर्य कि तरफ झुकता है, तो उसमे तापमान बड जाता है, और उसकि उलटी दिशा यानी दक्षिण गोलार्ध में थंडी पडती है।
3. पवन दिशा और वायु दाब
जब किसी भि क्षेत्र में गर्म हवा उपर उठती है, तो कम दबाव बनता है। और दुसरी तरफ थंडी वहा निचे आती है। जिससे एक उच्छ दबाव क्षेत्र बनता है। और इन दोनो के बिच का अंतर हि हवा के प्रवाह को नियंत्रित करता है।
4. समुद्र कि धाराएं
समुद्र कि धाराएं मौसम को तापमान और नमी के परिवहन के माध्यमसे बदलती है। जिससे स्थानिय स्तर और वैश्विक पर मौसम प्रभावित होता है। समुद्र के पाणी कि गर्म और ठंडी धाराएं आसपास के इलाको के तापमान को प्रभावित करती है, उदाहरण के लिए हम एल निनो (El Nino) और ला निना (La Nina) जैसी घटनाए पुरे विश्व के मौसम को प्रभावित करती है।
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2. मौसम का हमारे दैनंदिन जीवन और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
मौसम हमारे दैनंदिन जीवन से लेकर हमारे अर्थव्यवस्था तक को प्रभावित करता है। चाहे हम कोई भी हो, कोई उद्योजक, या देश का किसान, या कोई नौकरी वाला, या शहर का कर्मचारी, या फिर हम स्कूल और कॉलेज के विद्यार्थी हि क्युना हो हर कोई मौसम के अनुसार हि अपने दिन की योजना बनाता है।
1. कृषी उत्पन्न पर प्रभाव:
दोस्तो हमारा भारत देश एक कृषी प्रधान देश है, और किसी भि कृषी प्रधान देश में मौसम कि भुमिका सबसे अहम है। फसल कि बुवाई, सिंचाई, और फसल कि कटाई यह सभी चिजे मौसम के उपर निर्भय होता है।
भारत के 60% से अधिक किसान वर्षा पर निर्भर है, मानसुन की अच्छी बरसात से धान, गेंहू, और सब्जीयो कि फसल लहलहाति है, और जब कभी बारिश न होणे या सुखा पडने के कारण हमारे देश के किसान कर्ज के जरिए दब जाते है। 2023 के मानसून के महिनों में कम बारिश हुई , भारत के उत्तर-पश्चिम और मध्य हिस्सो में बारिश कि कमी देखी गई। कुल मिलाकर देखा जाए तो 2023 का मानसून कम वर्षा वाला रहा जिसमें से लगभग 5.6% कि कमी दर्ज ति गई।
ईसके अलावा, मत्स्य उत्पादन और बागवान भी मौसम के मोहताज है। मौसम के वजह से केरल के नारियल बागानों को भी नुकसान सहना पडता है।
2. स्वास्थ्य पर प्रभाव:
मौसम का हमारे शरिर के स्वास्थ्य पर भी गहरा असर पडता है। गर्मी के तापमान में वृद्धी से हिट स्ट्रोक के मामले बड जाते है। विश्व स्वास्थ्य संघटना (WHO) के मुताबिक भारत में हर साल लगभग हजारो लोगो कि जाने सिर्फ गर्मी के लहरो से होती है। हालांकि सरकारी रिपोर्ट में आंकडे अक्सर कम हि दिखाते है। 2001 और 2019 के बिच हिटवेव से लगभग 20,000 लोगो कि जाने गई, जबकी 1990 और 2020 के बिच यह आंकडा 25,983 था। भारत में 2012 और 2021 के बिच, लगबग हर साल औसतन 5,45,000 लोक गर्मी से संबंधित बिमारीयो से अपनी जान गवा रहे थे।
अगर हम इसके विपरीत देखे तो, सर्दियो में कोल्ड वेव से सांस कि बिमारीया फैलती है। जिससे ज्यादातर बच्चे और बुढे लोगो को इस बिमारिका खतरा बड जाता है। मौसम के बदलाव से अस्थमा, एलर्जी और यह तक कि मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है। उदाहरण के लिए, इनसानो में बारिश के मौसम में डेंग्यु, मलेरिया जैसे रोगो का खतरा बड जाता है। इन घटनाओ से भारत में आर्थिक नुकसान भी होता है, पिछले दो दशको में भारत को मौसम कि घटना ओ से 67.2 बिलीयन डॉलर का नुकसान हुआ है।
3. व्यापार और पर्यटन पर प्रभाव:
हिमाचल प्रदेश के हिल स्टेशन, मनाली, और शिमला के सर्दियो में बर्फबारी पर्यटन को आकर्षीत करती है खास कर ख्रिसमस और नये साल के दौरान, लेकिन अचानक बर्फिला तुफान आने से सडके बंद कर देत है। जिससे पर्यटन और व्यापार के लिए रसद कि आपुर्ती रूक जाती है। अगर इसी तरह बात करे राजस्थान कि तो राजस्थान भी एक पर्यटन स्थल है, क्युकि राजस्थान के रेगीस्तान में सर्दियो का माहोल साहसिक पर्यटन को बढावा देता है। क्युकि दिन में मौसम एक दम सुहाना रहता है और रात में ठंड होती है। जो पर्यटकों को बहुत आरामदायक बनाती है।
3. जलवायू परिवर्तन और बदलते मौसम कि चरन सिमाएँ
जलवायू परिवर्तन यह शब्द आज के समय में बहस मुख्य केंद्र बना हैहै, ग्लोबल वॉर्मिंग से पृथ्वी का तापमान बढ रहा है, जिससे मौसम का कोई नही रहा।
1. चरन मौसम के घटनाओ पर विचार:
सबसे पहले अगर बात किया जाए मानसून की तो जहा मानसून जून से सितंबर तक नियमित होता ता, अब वह अप्रत्याशीत है। जाहा बात किया जाए चक्रवात कि तो रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में ओडिशा को अम्फान चक्रवात ने तबाहि मचादी, जबकी 5 अगस्त, 2025 को लगबग दोपहर के 1:45 बजे के बिच खीर गंगा जलग्रहन क्षेत्र के उत्तर काशी जिले के धराली गांव में बादल फटने से आई बाढ। जिसमें लगभग 25-30 घर और दुकान 20 हॉटेल, स्थानीय बाजार, सडके सब बह गए। मानसून के बाद का मौसम अक्टूबर-दिसंबर तक के दौरान अरब सागर में चक्रवर्तो की तिव्रता में 20% कि वृद्धी देखी गई है। इसका मतलब है की, पहले अगर हवा की गती 100किमी/ घंटा थि तो अब उससे बढकर वह अब 120 किमी/घंटा हो गई है।देश में अब गर्मी के लहरे 45डिग्री पार कर चुके है। जैसे कि हाल की घटनाओ में देखा गया है कि, और यह एक वैश्विक तापमान वृध्दी की संकेत है।
2. जलवायू परिवर्तन से वर्षा पॅटर्न बिघाड रहे है।:
हिमालय ग्लेशियर पिघल रहे है, जिससे गंगा और यमुना जैसी नदीयो में प्रवाह में अस्थिरता आ रही है। इसके परिणाम, अत्यधिक पिघलते ग्लेशियरों से अचानक बाढ आ रही है, जबकी ग्लेशियर के कम होने से नदीयो में पाणी कि कमी और सुखे जैसी स्थिती बनती जा रहि है। उदाहरण के लिए हम केरला के 2018 में हुए घटना को याद रख सकते है, केरला में मानसून के दौरान अत्यधिक वर्षा के कारण बाढ़ आ गई। जिसमें 373 से अधिक लोगो कि जाने चलि गई, तथा 2,80,679 से लोगो को विस्थापित होना पड़ा था।
3. समाधान कि दिशा:
यह बिंदू हमे चेतावणी देते है कि मौसम कि बदलती तस्वीर मानव निर्मित है, और यह सुधारणा भी हम मानव का दायित्व है। यदी हम आज नही जगे तो कल का मौसम एक ऐसी विपत्ती बन जायेंगी जिसे शायद हम कभी रोक ना पायेंगे।
इस समस्या से निपटने के लिए प्रकृती के साथ संतुलन बनाए रखना पडेगा।
• पेड लगाना
• प्लास्टिक कम कर के योगदान दे सकते है।
• वनरोपनण पर जोर दिया जाय।
• नवीकरणीय उर्जा और जैसे पवन ऊर्जा का उपयोग।
• कार्बन उत्सर्जन में कमी।
• देश में पर्यावरण शिक्षा पर बढावा देना।
• नदी या तालाबों में बिना कचरा फेके।
ये कदम मौसम की अस्थिरता को कम करने में मदत कर सकते है।
निष्कर्ष
मौसम केवल बदलों और तपमान का खेल नही है, बल्कि यह एक हमारे धर्ती कि नब्ज है। क्युकि जब भी यह संतुलित रहता है, तब पृथ्वी के सारे जिव सुखी एवम खुशाल रहते है। लेकिन जब यह बिगडता है, तब यह मानव तथा पृथ्वी के जानवरो को प्रभावित करते है।
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